पास शमशान है
*** पास शमशान है ****
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आज मन बहुत परेशान है,
पास दिख रहा शमशान है।
त्रासदी निकट हर मोड़ पर,
रोज हो रहा नुकसान है।
दाग लग रहे ईमान पर,
धुंधली हो गई पहचान है।
हर कदम यहाँ नाकाम है,
जोखिमों भरा सुलतान है।
जालसाज मनसीरत हुआ,
आदमी बना हैवान हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)