पास नहीं
#दिनांक:- 8/8/2023
#शीर्षक:- मन मेरा मेरे पास नहीं
चलो आज पीछे चलते हैं,
जहॉ से बडी मुश्किल से निकले थे,
पुनः उसी में खोते हैं,
फसाने सबके रहे होगें ,
दिवाने, दिवानी सभी के रहे होंगे,
चन्द दिनों की खुशी,
भर आंचल मिला होगा,
बेहतरीन जीवन के कुछ क्षण,
खुलकर जिये होंगे
उसी की याद में,
दिनभर खोये खोये,
रात रात भर चाहा होगा,
प्रियतम के बॉहों में सोये,
मीठे पल बड़े हसीन,
आज भी लगते हैं,
दर्द बहुत मासूम हँसी,
हँसने लगते हैं,
आह ,
मन मेरा मेरे पास नहीं ,
दिलदार के पास दिल लेकर गया,
पहली मुलाकात,
धीर-धीरे आगे बढ़ी बात,
ख़ुशनुमा लगने लगा सारा जहाँ ,
मैं बावरी बन उसके पीछे चलूॅ,
कभी समेट लूॅ,
तो कभी खुद को खोलूॅ ,
एकाकीपन दूर ना जाने कहाँ खो गये ,
हम तो बस,
स्वप्निल बाँहों में खो गए ,
जीवन की ये असीम खुशी थी ,
इसके पहले और बाद ,
जीवन गमगीन था,
आज भी उसकी यादों में,
जब खो जाती हूँ
सारे गम भुला कर,
फिर सो जाती हूँ |
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है|
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई