#पावन बेला प्रातः काल की #
पावन बेला प्रातः काल की, सब उठ कर के ध्यान करो,
आलस त्यागो बिस्तर छोड़ो, या फिर घर के काम करो।
योग करो या ध्यान लगाओ, चाहें कदम दो चार चलो
चुस्ती, फुर्ती और स्फूर्ति से, तुम दिन की शुरुआत करो।
आभार व्यक्त करो उसका जिसने तुम्हे जीवन दान दिया।
पावन बेला प्रातः काल की, सब उठ कर के ध्यान करो,
शीतल मन्द सुगंधित पवन ,मन को आनंदित करती है
बागों में फूलों की खुशबू, मन को मोह ले जाती है।
चिड़िया भी सुबह उठकर के ,मधुर संगीत सुनाती हैं।
अपने बच्चों को नित्य के जैसे ,नई उड़ान सिखाती हैं ।
तुम भी उठो अपने संग में ,अपने बच्चों को उठना सिखलाओ।
अपने धर्म और संस्कृति से, इनकी तुम पहचान करवाओ।
खूब पढ़ें और आगे बढ़ें, मिट्टी से जुड़े यह सिखलाना
आधुनिकता के चक्कर में पड़,संस्कारो को न भुला देना,
मर्यादा में रहें सदा यह भी उनको बताना तुम।
बड़ो का सम्मान करें यह भी उनको सिखाना तुम,
इसके लिए पहले हमको खुद ही तो बदलना होगा।
आलस का कर के त्याग हमे , प्रातः काल उठना होगा
पावन बेला प्रातः काल की, सब उठ कर के ध्यान करो
एक सूरज कैसे पूरा ब्रह्मांड प्रकाशित करता है।
चांद और तारे भी अपना पूरा ज़ोर लगाते हैं।
धरती अम्बर नदी और पर्वत अपना अपना काम करें।
फिर क्यों हम आलस में पड़कर अपना जीवन बर्बाद करें।
दिन उनका बन जाता है जो प्रातः काल उठ जाते है।
पावन बेला प्रातः काल की उसका तुम आनंद उठाओ।
प्रकृति के नियमों का प्यारे दृढ़ता से सम्मान करो
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ
700189141