पापा
पापा के पसीने की महक से खुशहाल होता है घर तेरा
अल्फाजो की दुआ माँ की काम जो करती है
जवानी बेटे की उसके नए आयाम जो भरती है
तिनका तिनका जोड़ा है उसने बिखरे हुये घराने का
होती है एक आश सबको एक माला मे पिरोने का
रखकर दूर खुद के सुख तेरे लिए नए आयाम जो करती है
है माँ जो सिसकियो मे दूर घुटन मे तेरा आराम जो भरती है
बेपरवाह है भुख से खुद बस जो ख्याल होता है पर तेरा
पापा के पसीने की महक से खुशहाल होता है घर तेरा 2
झुझती आंखे हताश मन से तेरी जवानी को बुलाती है
आँखो मे आश ,धैर्य विश्वास तेरी रवानी को बनाती है
दर्द और भय ,निष्ठा और श्रेय तेरा शृंगार करने मे
लुटा देती है एक माँ सबकुछ तुझे तैयार करने मे
उम्मीदे बस तुम्ही से है उसको तु उसकी डोर जो है
बुढ़ापे और सुख दुख का बस आखिरी छोर तु जो है
बना दे आयाम तु खुद से सवाल मिटा दे तु उनका
हटा बेरुखी कर कोशिश तम दूर हटा दे तु उनका
बिंब से चित्र और ह्रदय के भाव को रंगो से तु भर तेरा
पापा के पसीने की महक से खुशहाल होता है घर तेरा 2