पापा
ढूंढती हूँ दर बदर अक्स उनका ,
रह रह कर याद आती है
उनकी वात्सलय भरी आंखें,
क्यों छोड़ दिये साथ इतनी जल्दी पापा?
मन कल्पित हो जाता है
आखों में अश्रु भर जाते हैं,
जब आपकी नेह भरी बाते याद आती है
मन शून्य सा प्रतीत हो जाता है!
हाथ छूकर आपके कुछ बात कर लेती,
पास रहकर आपका सान्निध्य पा लेती,
साथ रहता आपका कुछ और पल मेरे ,
मुझे जिन्दगी का सारा सोपान मिल जाता,
वक्त की इस आंधी ने छिना जो साया आपका
बेबसी भी अपनी बयां ना कर सकूंगी,
कंधे पर सर रखकर सिसक भी लेती,
साथ जो होता आपका पापा
मन अनाथ यू न होता! !