पापा की पुण्यतिथी
आज पापा की २८ वी पुण्य तिथि पर
आपके यूँ अचानक छोड़ कर चले जाना
घाव कितना गहरा होगा शायद आपको
अहसास भी नही होगा मैं चीखती रही
यादे घाव में पस सी बढ़ती गई असहनीय पीड़ा सी
चीख दूर तक तो गई पर आप तक नही
आप तो दूर अनंत में सोए थे चिरनिंद्रा में
आज भी लफ्ज़ में आपको लिखना चाहती हूँ
कुछ पंक्तियो को सजाना चाहती हूँ यादे लिखकर
कलम में आपके ख्यालों के शब्द दे
लिख देना चाहती हूँ अपने अन्तःमन के
उबलते हुए दर्द को,आपकी यादों में
शब्दो को सजा देख लेना चाहती हूँ आपकी तस्वीर
आंखों के सामने उतर आती है आज भी यादे
आपका अद्भूत स्नेह जो शायद आपके बाद मिला ही नही
आप के जाने से रह गई नितांत अकेली सी
शायद किस्मत का खोट ही था तभी तो
आप यूँ छोड़,मुहँ मोड़ चल दिये अनंत यात्रा पर
पर मुझे आज भी यही लगता है कि आप है आज भी
आपको सब”थे” बोलते है पर आप तो आज भी
मेरे पापा ही है आज भी मैं बिलखती हूँ यादों में
नितांत अकेली ,बेसहारा सी आपकी बिटिया
आपकी सिर्फ आपकी प्यारी वाली”पिंकी”बिटिया
डॉ मंजु सैनी