” पापा की परी “
” पापा की परी ” ©
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पापा मुझे तुम पँख दिलवा दो
बाजार से पूरे दो दिलवा दो ||
और रंग-बिरंगी चमकली-सी
एक नयी फ्रॉक सिलवा दो ||
पँख लगाकर आसमान में
दूर तक उड़ना चाहती हूँ ||
जादू की छड़ी गोल घुमाकर
जादू करना चाहती हूँ ||
तारों की ऊँचाई तक मैं
परियों संग घूम आउंगी ||
बड़ी हो कलाकार बन मैं
परियों की अदा निभाऊंगी ||
जब तुम टीवी चलाओगे तो
मैं स्क्रीन पे दिख जाउंगी ||
मैं हूँ प्यारी नन्ही सी परी
सबके दिल पे छा जाउंगी ||
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स्वरचित एवं
मौलिक रचना
लेखिका :-
©✍️सुजाता कुमारी सैनी “मिटाँवा”
लेखन की तिथि :- 18 जून 2021