पापा आप बिन
शीर्षक:पापा आप बिन
कैसे रानी बिटिया हुआ करती थी मैं
जब आप मेरे साथ थे जीवंत रूप में
कैसे रानी बिटिया से अनाथ हुई
समझ ही नही आया आखिर क्यों
सभी राहे इतनी कठिन क्यो दिख पड़ती हैं
वही जो आपके साथ आसान हुआ करती थी
लगता हैं जैसे जिंदगी हँसती हैं मुझपर
उसके हाथ की कठपुतली सी बन गई मैं
जबसे आपके बिन हो गई मैं
डगमगाते कदम को कोई टोकता नही अब
जिंदगी खुल कर अपना रूप दिख रही अब
मेरी आँखों मे आपकी तस्वीर उभरती हैं अब
कोई भी ख़्वाहिश ही नही रही अब
मैने आपके संग ही जीना सीखा था पर
अब आप नही है तो समझो कैसे जी रही हूँ मैं
मेरे दर्द की टीस पीड़ा देती हैं मुझे
आप होते तो संभाल लेते मुझे
किसी के सामने नही झुका सिर मेरा
पर रब के सामने अब नयमस्तक हूं मैं
शायद यही सोच कि आप अब उसके ही पास है
वही आपको मेरी यादे बताता होगा
आपको मेरी याद दिलाता होगा
कैसे है आपके बिन आपकी बेटी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद