पापा?
माँ है दुलार तो अनुशासन हैं पापा।
माँ सम्भालती है घर को ,तो घर बनाते हैं पापा।
माँ बनाती है खाना प्यार से,
खाने का इंतजाम करते हैं पापा।
माँ चलना सिखाती है पकड़कर अंगुली,
अंगुली छोड़ समाज मे चलना सिखाते हैं पापा।
माँ देती है अच्छे संस्कार बच्चों को,
उन संस्कारों पर अडिग रहना सिखाते हैं पापा।
माँ पनाह देती हैं अपने आँचल में,
सिर ढकने के लिए छत देतें हैं पापा।
माँ बनती है छाया धूप में,
बारिश में छाता बनते हैं पापा
माँ संवारती है बच्चों का वर्तमान,
अच्छा भविष्य बनाते हैं पापा।
माँ दवा है हर दुख की,
दुख से उबरना सिखातें है पापा।
कैसे बताऊँ कौन है सर्वोपरि,
माँ धरा है तो अम्बर है पापा।।
By:Dr Swati Gupta