* पानी केरा बुदबुदा *
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* पानी केरा बुदबुदा *
टूट कर शीशे सा बिखर जाना,
बहुत आसान होता है ।
शिकस्ता साज़ पर नगमे सुरीले गा कर,
दिखाये वही इंसान होता है ।
नतीजों से प्रारब्ध का अंदाजा लगाकर ,
बहक जाना, किसी अनजान के पहलू
में आकर महक जाना
जैसा ही इक बाकया शानदार होता है ।
मुसीबतों के बीच सजग रहना ,
ये , कहना बहुत आसान होता है
थपेड़े मौसम के जिसने झेले हों
असलियत में वही तो पहलवान होता है ।
गमों गुलखार सी दुनिया ,
और तीखे – तीखे वाण सी दुनिया
सदा ही वेधती दिल को सभी के ,
बचा ले पल्लू – टिललू सा, वही उस्ताद होता है ।
सिखा कर प्यार की कविता ,
दिखा कर सब्ज हरियाली ,
चढ़ा कर नाक पर चश्मा, देखता है तुम्हें, लाली
समझ ले चाल जो इनकी, वही तो पार होता है ।
टूट कर शीशे सा बिखर जाना,
बहुत आसान होता है ।
शिकस्ता साज़ पर नगमे सुरीले गा कर,
दिखाये वही इंसान होता है ।