Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2019 · 2 min read

पानी की दुकान

जिस देश में दूध की नदियां बहती थी, वही पानी के लिए दर-दर भटक रहा है। उसकी हालत बिन पानी के मछली तड़पती है जैसी हो गई है। पानी के लिए हाय तौबा हाय तौबा मच रही है। कहीं लोग लड़ रहे हैं कहीं दौड रहे हैं। ग्रीष्म काल में क़ोतुहल मच रहा है।
जीव जंतु पानी के बगैर नहीं रह सकता। मनुष्य कितना ही विवेकशील हो जाए तर्कशील, आत्मबल, कितनी ही उन्नति के शिखर पर पहुंचे। उसे प्रकृति के सानिध्य में रहना पड़ेगा। पानी का लेवल दिनों दिन घट रहा है।
मनुष्य ने अपनी पूर्ति के लिए विकल्प जरूर खोज लिए, पेयजल के लिए पानी की दुकान खोल रखी है। पानी का व्यवसायीकरण किया जा रहा है। फिर भी प्रकृति पर निर्भर रहेगा।
पानी के लिए हमारी सरकार समय-समय पर पानी बचाओ जैसे अभियान चलाता है। तलाव निर्माण, मेड
बंधन, वृक्षारोपण, नए नए आयाम लाती हैं। यह सब बारिश के पानी पर निर्भर है। यदि लोगों में जागरूकता हो तो कुछ हद तक राहत मिल सकती ।
प्रकृति का दोहन वे हताश हो रहा है। बनू की उपेक्षा, वनों की अंधाधुंध कटाई, आदि आदि कारण है। जनसंख्या की वृद्धि भी एक कारण है।
कहीं अतिवृष्टि कहीं अनावृष्टि हो रही है। मानव प्रदूषण की चपेट में आ गया है, जैसे-भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि।
इन प्रदूषण के कारण हमारी धरा, और जनसंख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
हमें प्रकृति से संतुलन बनाए रखना होगा।भूमि प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाना पड़ेगा। और संरक्षण करना पड़ेगा। जल प्रदूषण से बचाव के लिए हमारी फसलों में कम केमिकल वाली दवाइयों का उपयोग करना चाहिए। ताकि उपजाऊ भूमि बंजर भूमि में ना तब लीद हो। वायु प्रदूषण से बचने के लिए हमें वाहनों का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए। कल कारखानों से निकलता धुआं, गैस, का उपयोग कम करना चाहिए। जिससे पर्यावरण की रक्षा हो सके। यदि हम जल्द अचेतन अवस्था से नहीं जागे तो वह दिन दूर नहीं है जब समस्त प्राणी काल के गाल में समा जाएंगे। फतेह जल एक बहुमूल्य पदार्थ है। इसको बचा कर रखना हमारी जिम्मेदारी है। नहीं तो”
पानी की दुकान”बंद हो जावेगी। और मानव का जीवन अंधकार में पड़ जाएगा।
लेखक_ नारायण अहिरवार”अंशु कवि”
सेमरी हरचंद होशंगाबाद
मध्य प्रदेश

Language: Hindi
Tag: लेख
321 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

#प्रेम_वियोग_एकस्वप्न
#प्रेम_वियोग_एकस्वप्न
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
हर बात पे ‘अच्छा’ कहना…
हर बात पे ‘अच्छा’ कहना…
Keshav kishor Kumar
किसने कहा कि हँसते हुए चेहरे हमेशा खुशनुमा रहते हैं
किसने कहा कि हँसते हुए चेहरे हमेशा खुशनुमा रहते हैं
Rekha khichi
दोहा सप्तक : इच्छा ,कामना, चाह  आदि
दोहा सप्तक : इच्छा ,कामना, चाह आदि
sushil sarna
कुल्लू -मनाली (कविता) 28)
कुल्लू -मनाली (कविता) 28)
Mangu singh
ना वह हवा ना पानी है अब
ना वह हवा ना पानी है अब
VINOD CHAUHAN
*वो एक वादा ,जो तूने किया था ,क्या हुआ उसका*
*वो एक वादा ,जो तूने किया था ,क्या हुआ उसका*
sudhir kumar
*नाम पैदा कर अपना*
*नाम पैदा कर अपना*
Shashank Mishra
किंकर्तव्यविमूढ़
किंकर्तव्यविमूढ़
Shyam Sundar Subramanian
कुछ रह गया बाकी
कुछ रह गया बाकी
Vivek Pandey
.हिदायत
.हिदायत
shabina. Naaz
World Emoji Day
World Emoji Day
Tushar Jagawat
*श्री सुंदरलाल जी ( लघु महाकाव्य)*
*श्री सुंदरलाल जी ( लघु महाकाव्य)*
Ravi Prakash
बना कावड पिताजी मैं तुम्हें
बना कावड पिताजी मैं तुम्हें
Baldev Chauhan
*ट्रक का ज्ञान*
*ट्रक का ज्ञान*
Dr. Priya Gupta
सरसी छन्द
सरसी छन्द
Dr.Pratibha Prakash
भाड़ में गई दुनिया
भाड़ में गई दुनिया
विजय कुमार अग्रवाल
4236.💐 *पूर्णिका* 💐
4236.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मेरे हाथ की लकीरों में मोहब्बत लिख दे
मेरे हाथ की लकीरों में मोहब्बत लिख दे
Jyoti Roshni
" सहोदर "
Dr. Kishan tandon kranti
निगाहों से पूछो
निगाहों से पूछो
Surinder blackpen
मैं समझता हूँ, तुम सफल होना चाहते हो। तुम्हें अपने सपनों तक
मैं समझता हूँ, तुम सफल होना चाहते हो। तुम्हें अपने सपनों तक
पूर्वार्थ
छंद मुक्त कविता : जी करता है
छंद मुक्त कविता : जी करता है
Sushila joshi
संवेदना
संवेदना
Rajesh Kumar Kaurav
कहना ही है
कहना ही है
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
भीगी पलकें( कविता)
भीगी पलकें( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
जीनी है अगर जिन्दगी
जीनी है अगर जिन्दगी
Mangilal 713
बदली मन की भावना, बदली है  मनुहार।
बदली मन की भावना, बदली है मनुहार।
Arvind trivedi
मेरा प्यारा राज्य...... उत्तर प्रदेश
मेरा प्यारा राज्य...... उत्तर प्रदेश
Neeraj Kumar Agarwal
इंतजार
इंतजार
शिवम राव मणि
Loading...