पानी की खातिर
अब पानी की खातिर होगा
दुनिया में महायुद्ध,
नहीं मिल रहा पीने को
आज भी पानी शुद्ध।
पानी लेने के वास्ते दिखते
भीड़ और जमाव,
नल टैंकर कुओं में बढ़ रहे
लोगों में टकराव।
देश की सारी नदियों के दर्द
सारा जमाना देख रहा,
बावजूद अन्धश्रद्धा के कारण
अस्थियों को फेंक रहा।
पानी की खातिर मच रहा
उठापटक और रार,
नदियाँ प्रदूषित हो चुकी अब
तीन सौ से पार।
पेड़ बेदर्दी से कटते जा रहे
दिनों-दिन बेहिसाब,
प्राकृतिक न्याय है अटल सत्य
ये मत भूलो जनाब।
( मेरी प्रकाशित कृति : ‘माटी के रंग’ से )
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।