पांव में मेंहदी लगी है
पांव में मेंहदी लगी है ,कैसे मैं आऊं?
राज़ जो तुझसे छिपे हैं कैसे बतलाऊं?
रातों को वो चोरी चोरी तुमसे मिलना।
मिलते ही तुमसे वो फूल सा खिलना।
शाने पर तेरे ,मेरा जुल्फों को बिखराना ।
तेरा आलिंगन में भर उनको सहलाना।
मिलन की घड़ी का हर पल रहे इंतज़ार।
कैसे कहूं तुमसे कितना है मुझे प्यार।
मेंहदी की वजह से आज मिल न पाना।
सच है ये ,न मानो इसको तुम बहाना।
सुरिंदर कौर