प़थम स्वतंत्रता संग्राम
७-८सौ राजा महाराजा नबाव, भारत में शासन करते थे
अलग अलग प्रतीक चिन्ह, अलग अलग झंडे थे
समृद्ध वैभवशाली भारत पर, अंग्रेजों की नजर पड़ी
आ गए साम्राज्य बढ़ाने, ईस्ट इंडिया कंपनी गढ़ी
राजे महाराजे और नबाव,आपस में ही लड़ते थे
अपने अपने अभिमान में,नित नए शगूफे गढ़ते थे
अंग्रेजों की कुटिल नीति के,राजा महाराजा शिकार हुए
हिन्दू मुस्लिम में बांट दिया,सब लड़ने को वेकरार हुए
फूट डालो और राज करो, अंग्रेजी नीति सफल हुई
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण में, अंग्रेजों की जीत हुई
भारत हुआ गुलाम, अंग्रेजों ने लूट मचाई
अन्याय अत्याचार बढ़े, भारत की जनता थर्राई
सन १८५७ में पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ
लड़े वीर सेनानी सेना से,पहला संग्राम बिफल हुआ
मंगल पांडे,धनसिंह गुर्जर,कुंअर सिंह,माधौसिंग लड़े
तात्या टोपे, नाना साहब, लक्ष्मी बाई ने प्राण दिए
नबाव खान, बहादुर खान, अनगिनत वीर शहीद हुए
शहीद हो गए असंख्य सेनानी, एक चिंगारी का उदय हुआ
बढ़ रहा था जन आक्रोश, कांग्रेस का गठन हुआ
संगठित होने लगी जनता, सेनानी नेताओं का उदय हुआ
मील का पत्थर साबित हुआ,१००बरष संग्राम हुआ