पहली बारिश मेरे शहर की-
राहत तीखी धुप से ,राहत सूखे नल और कूप से !
तृप्त तपते रास्ते, सजल सूखी कलियाँ ,
भीगी धुल से धूसरित शहर की गलियां ।
आकाश में चुनरिया ओढ़े , चुपके से आई,
जैसे मिरग कस्तूरी की महक है छाई ।
अरसे बाद पूरी ये ख्वाहिश हुई है,
मेरे शहर में पहली बारिश हुई है !!
बिजली की चमक, आत्मा से संवाद जैसी ,
मेघों की गर्जना, अनहद नाद जैसी ।
फूलों की बगिया में, निखार आया ,
बूँदों की बौछार, से मन हरसाया ।
घर में चाय पकौड़ों की फ़रमाइश हुई है ,
मेरे शहर में पहली बारिश हुई है !!
धरती के आँचल को हरी ओढनी उढाई,
चली है मंद मंद हवा पुरवाई ।
बूंदों के गीत, झरनों का संगीत,
जैसे प्रेमिका को मिल गया उसका मनमीत ।
भीषण गर्मी के ख़िलाफ़ कही साज़िश हुई है,
मेरे शहर में पहली बारिश हुई है !!
तन भी भीगे, मन भी भीगे ,
भीगे गोरी का दामन भी ,
अभी तो बाक़ी मदमस्त सावन भी !
अमृत बूँद पड़ी आम न पर ,आम रसीले हो गये ,
सूखे नयन आज तृप्त हो देखो गीले हो गये !
कर्मचारियों की भी पिकनिक की सिफ़ारिश हुई है ,
मेरे शहर में पहली बारिश हुई है !!
स्वरचित-डॉ मुकेश’असीमित’