Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jun 2024 · 1 min read

पहली बारिश मेरे शहर की-

राहत तीखी धुप से ,राहत सूखे नल और कूप से !
तृप्त तपते रास्ते, सजल सूखी कलियाँ ,
भीगी धुल से धूसरित शहर की गलियां ।
आकाश में चुनरिया ओढ़े , चुपके से आई,
जैसे मिरग कस्तूरी की महक है छाई ।
अरसे बाद पूरी ये ख्वाहिश हुई है,
मेरे शहर में पहली बारिश हुई है !!
बिजली की चमक, आत्मा से संवाद जैसी ,
मेघों की गर्जना, अनहद नाद जैसी ।
फूलों की बगिया में, निखार आया ,
बूँदों की बौछार, से मन हरसाया ।
घर में चाय पकौड़ों की फ़रमाइश हुई है ,
मेरे शहर में पहली बारिश हुई है !!
धरती के आँचल को हरी ओढनी उढाई,
चली है मंद मंद हवा पुरवाई ।
बूंदों के गीत, झरनों का संगीत,
जैसे प्रेमिका को मिल गया उसका मनमीत ।
भीषण गर्मी के ख़िलाफ़ कही साज़िश हुई है,
मेरे शहर में पहली बारिश हुई है !!
तन भी भीगे, मन भी भीगे ,
भीगे गोरी का दामन भी ,
अभी तो बाक़ी मदमस्त सावन भी !
अमृत बूँद पड़ी आम न पर ,आम रसीले हो गये ,
सूखे नयन आज तृप्त हो देखो गीले हो गये !
कर्मचारियों की भी पिकनिक की सिफ़ारिश हुई है ,
मेरे शहर में पहली बारिश हुई है !!
स्वरचित-डॉ मुकेश’असीमित’

16 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"𝗜 𝗵𝗮𝘃𝗲 𝗻𝗼 𝘁𝗶𝗺𝗲 𝗳𝗼𝗿 𝗹𝗼𝘃𝗲."
पूर्वार्थ
आज फ़िर एक
आज फ़िर एक
हिमांशु Kulshrestha
ज़िंदगी चलती है
ज़िंदगी चलती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
अजहर अली (An Explorer of Life)
उद् 🌷गार इक प्यार का
उद् 🌷गार इक प्यार का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
युग प्रवर्तक नारी!
युग प्रवर्तक नारी!
कविता झा ‘गीत’
"इच्छाशक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
जब जब तेरा मजाक बनाया जाएगा।
जब जब तेरा मजाक बनाया जाएगा।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
छप्पन भोग
छप्पन भोग
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
लाइफ का कोई रिमोट नहीं होता
लाइफ का कोई रिमोट नहीं होता
शेखर सिंह
कुछ लोग यूँ ही बदनाम नहीं होते...
कुछ लोग यूँ ही बदनाम नहीं होते...
मनोज कर्ण
সেই আপেল
সেই আপেল
Otteri Selvakumar
राम तुम्हारे नहीं हैं
राम तुम्हारे नहीं हैं
Harinarayan Tanha
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
कमबख़्त इश़्क
कमबख़्त इश़्क
Shyam Sundar Subramanian
तो मैं राम ना होती....?
तो मैं राम ना होती....?
Mamta Singh Devaa
व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
बहुत कुछ बदल गया है
बहुत कुछ बदल गया है
Davina Amar Thakral
सुहागन का शव
सुहागन का शव
अनिल "आदर्श"
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
Mr.Aksharjeet
*जन्मभूमि के कब कहॉं, है बैकुंठ समान (कुछ दोहे)*
*जन्मभूमि के कब कहॉं, है बैकुंठ समान (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
3002.*पूर्णिका*
3002.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य
Dr.Rashmi Mishra
बेवजह कभी कुछ  नहीं होता,
बेवजह कभी कुछ नहीं होता,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
स्त्रियां पुरुषों से क्या चाहती हैं?
स्त्रियां पुरुषों से क्या चाहती हैं?
अभिषेक किसनराव रेठे
#सच्ची_घटना-
#सच्ची_घटना-
*प्रणय प्रभात*
दोहा त्रयी. .
दोहा त्रयी. .
sushil sarna
Loading...