पहली दस्तक
जब प्रकृति में सूर्य की किरण से, प्रकाश का संश्लेषण होता है।
तब पादप का भोजन बनता, जीवन का पूरा विश्लेषण होता है।
सूर्य एक अक्षय ऊर्जा स्त्रोत, जिसके प्रमाण विज्ञान के पास है।
जल, मृदा व वन से भी सर्वोपरि है, यही तो जीवन की आस है।
सूरज के क्षितिज पर आने से, प्रकृति में ऊर्जा परवान चढ़ती है।
खिले सूरज की पहली दस्तक, जब-जब मेरे आंगन पे पड़ती है।
कल बाज़ार में मिली नई पौध, आज गमले में सजाकर रखी है।
पिछले साल की पलाऊ मिट्टी, हमने पन्नियों में बचाकर रखी है।
बारिश में बहकर आए केंचुए, आज हमारी सहायता करने लगे।
उनके अथक प्रयासों से ही, मेरी बगिया के सब पौधे बढ़ने लगे।
गमलों से सजी हुई क्यारियों संग, कोंपलें भी खुलकर बढ़ती हैं।
खिले सूरज की पहली दस्तक, जब-जब मेरे आंगन पे पड़ती है।
मौसमी चक्र है बड़ा अद्भुत, जिसमें फसलों का निश्चित क्रम है।
मौसम फसल खा जाते हैं, यह सत्यता नहीं बल्कि एक भ्रम है।
सूर्य की आभा, जल का प्रवाह, मृदा की महक, सब है निराला।
जो इनके महत्त्व को समझ गया, वो कृषक बड़ा किस्मत वाला।
गर्मियों में हवाएं, ठंडियों में ओंस, सूरज की किरण से लड़तीं हैं।
खिले सूरज की पहली दस्तक, जब-जब मेरे आंगन पे पड़ती है।
अधिकांश प्रदूषक तत्त्व ही तो हैं, इस त्रस्त ग्रह के खर व दूषण।
इनकी अनियंत्रित मात्रा से ही, आज प्रकृति में फैला है प्रदूषण।
विश्व में कुछ ही वर्षों के बाद, गहरी धुंध में ये सूर्य घुल जायेगा।
तब प्रकृति बनेगी विनाशक, शायद ऐसे में ये पाप धुल जायेगा।
कुछ यों भावी पीढ़ियाॅं समस्त दोष, पुरानी पीढ़ियों पर मढ़ती हैं।
खिले सूरज की पहली दस्तक, जब-जब मेरे आंगन पे पड़ती है।