पहनते है चरण पादुकाएं ।
पहनते है चरण पादुकाएं ।
दशा और दुर्दशा का भी हाल बताते है,
करते है सुरक्षा सभी के पैरों की,
चलना हो जाता है बड़ा आसान ,
यात्रा हो या खराब राह ।
पहनते है चरण पादुकाएं ।
जीवन की सफलता में देता है साथ,
दिख जाती है हैसियत ,
पहनते है इसको खरीद किफायती दाम में,
घिस जाती है तो बताती संघर्षों के निशान।
पहनते है चरण पादुकाएं ।
किसी नए की आने की होती है पहचान,
पायी जाती है जब घर के दरवाजे के बाहर,
आसानी से हो जाती पहचान नारी है या पुरुष ,
आने वाला शख्स है अतिथि या कोई अपना बन्धु ।
पहनते है चरण पादुकाएं ।
दिखते है पैर सुंदर अद्भुत और कमाल,
छोटी-बड़ी सभी के नाप की होती है अलग,
जब पिता की पादुकाएं हो जाए बेटे को,
समझ लेना जिम्मेदारी निभाने को हो जाए अवगत् ।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।