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28 Nov 2023 · 1 min read

“पहचान”

“पहचान”
भूतकाल चिरंजीव है,
जो सर्वत्र रहता है।
भविष्य एक भूलभुलैया है।
वर्तमान रेत की तरह फिसल रहा है।
समय की शिला पर जो लिखते हैं,
वही अमिट है।
वही कर्म की पहचान है।

11 Likes · 6 Comments · 267 Views
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