पहचान हुई मुश्किल।
गज़ल
काफ़िया- ई स्वर की बंदिश
रदीफ़- मुश्किल
221……122…..2
पहचान हुई मुश्किल।
आंखों की बढ़ी मुश्किल।
जीवन में बढ़ी मुश्किल।
पर काम नहीं मुश्किल।
गर हार गया मन से,
तो काम वही मुश्किल।
हर बात रखें कल को,
हर बात बनी मुश्किल।
बेटी को जनम देते,
हर मां की बढ़ी मुश्किल।
रोटी के पड़े लाले,
मुफलिस को खड़ी मुश्किल।
प्रेमी ये कहें ग्वालिन,
है प्रेम सखी मुश्किल।
……. ✍️ प्रेमी