“पशु-पक्षियों की बोली”
“पशु-पक्षियों की बोली”
बिल्ली की म्याऊँ-म्याऊँ
कर जाते ये इशारे,
दूध दही घी को सम्हालो
वर्ना हो जाएगा वारे-न्यारे।
मेंढक की टर्र-टर्र बोली
बादल बरसने को कह जाती,
नहाने धोने पीने के लिए
जल का महत्व बतलाती।
“पशु-पक्षियों की बोली”
बिल्ली की म्याऊँ-म्याऊँ
कर जाते ये इशारे,
दूध दही घी को सम्हालो
वर्ना हो जाएगा वारे-न्यारे।
मेंढक की टर्र-टर्र बोली
बादल बरसने को कह जाती,
नहाने धोने पीने के लिए
जल का महत्व बतलाती।