पल भर कि मुलाकात
पल भर कि मुलाकात –
पल भर कि मुलाकात जीवन सन्देस विशेष दे जाते है जीवन के हर पल प्रहर याद सदा वो आते है।।
रिश्ते ही जीवन का मतलब महत्व बाताते है सेवा जीविका से निबृत्त हो सकता है मानव रिश्ते ही तो है जो अंतिम सांसों तक सांस निभाते है ।।
जीवन है चिराग प्रकाश तो रिश्ते उसकी बाती है समरसता रिश्तो का घी तेल जीवन महत्व बतलाते है।।
जीवन यात्रा में मिलना और बिछड़ना जीवन कि परिपाटी है
मिलने और बिछड़ने का सील सिला रिश्तों के बीते पल प्रहर जीवन अर्थ रहस्य बाताते है।।
ऐसा माना जाता है दुनियां का भी है विश्वास जीवन का पल प्रहर मिलना और बिछड़ना निर्धारित होता प्राणि तो मात्र प्रारब्ध प्राण के साथ निर्धारण का अभिनय करता जाता है।।
सोच विचार समझ मर्यादा नैतिकता संस्कार जीवन रिश्तों का सूत्रधार।।
जीवन धारा कलरव करती निर्मल निर्झर निर्विकार उद्देश्यों का पथ पथिक जैसा चलता बहता जाता है।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।