Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2022 · 2 min read

पलटू राम

इस सृष्टि में बदलाहटपन स्वाभाविक है। लेकिन इस बदलाहटपन में भी एक नियमितता है। एक नियत समय पर हीं दिन आता है, रात होती है। एक नियत समय पर हीं मौसम बदलते हैं। क्या हो अगर दिन रात में बदलने लगे? समुद्र सारे नियमों को ताक पर रखकर धरती पर उमड़ने को उतारू हो जाए? सीधी सी बात है , अनिश्चितता का माहौल बन जायेगा l भारतीय राजनीति में कुछ इसी तरह की अनिश्चितता का माहौल बनने लगा है। माना कि राजनीति में स्थाई मित्र और स्थाई शत्रु नहीं होते , परंतु इस अनिश्चितता के माहौल में कुछ तो निश्चितता हो। इस दल बदलू, सत्ता चिपकू और पलटूगिरी से जनता का भला कैसे हो सकता है? प्रस्तुत है मेरी व्ययंगात्मक कविता “पलटू राम”।
======
तेरी पर चलती रहे दुकान,
मान गए भई पलटू राम।
======
कभी भतीजा अच्छा लगता,
कभी भतीजा कच्चा लगता,
वोहीं जाने क्या सच्चा लगता,
ताऊ का कब नया पैगाम ,
अदलू, बदलू, डबलू राम,
तेरी पर चलती रहे दुकान।
======
जहर उगलते अपने चाचा,
जहर निगलते अपने चाचा,
नीलकंठ बन छलते चाचा,
अजब गजब है तेरे काम ,
ताऊ चाचा रे तुझे प्रणाम,
तेरी पर चलती रहे दुकान।
======
केवल चाचा हीं ना कम है,
भतीजा भी एटम बम है,
कल गरम था आज नरम है,
ये भी कम ना सलटू राम,
भतीजे को भी हो सलाम,
तेरी पर चलती रहे दुकान।
======
मौसम बदले चाचा बदले,
भतीजे भी कम ना बदले,
पकड़े गर्दन गले भी पड़ले।
क्या बच्चा क्या चाचा जान,
ये भी वो भी पलटू राम,
इनकी चलती रहे दुकान।
======
कभी ईधर को प्यार जताए,
कभी उधर पर कुतर कर खाए,
कब किसपे ये दिल आ जाए,
कभी ईश्क कभी लड़े धड़ाम,
रिश्ते नाते सब कुर्बान,
तेरी पर चलती रहे दुकान।
======
थूक चाट के बात बना ले,
जो मित्र था घात लगा ले,
कुर्सी को हीं जात बना ले,
कुर्सी से हीं दुआ सलाम,
मान गए भई पलटू राम,
तेरी पर चलती रहे दुकान।
======
अहम गरम है भरम यही है,
ना आंखों में शरम कहीं है,
सबकुछ सत्ता धरम यही है,
क्या वादे कैसी है जुबान ,
कुर्सी चिपकू बदलू राम,
तेरी पर चलती रहे दुकान।
======
चाचा भतीजा की जोड़ी कैसी,
बुआ और बबुआ के जैसी,
लपट कपट कर झटक हो वैसी,
ताक पे रख कर सब सम्मान,
धरम करम इज्जत ईमान,
तेरी पर चलती रहे दुकान।
======
अदलू, बदलू ,झबलू राम,
मान गए भई पलटू राम।
======
अजय अमिताभ सुमन
सर्वाधिकार सुरक्षित

2 Likes · 982 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
Akash Agam
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
4078.💐 *पूर्णिका* 💐
4078.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सूखता पारिजात
सूखता पारिजात
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
पिता
पिता
Shashi Mahajan
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! ...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! ...
पूर्वार्थ
विश्व पुस्तक दिवस पर
विश्व पुस्तक दिवस पर
Mohan Pandey
ग़ज़ल _ मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !
ग़ज़ल _ मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !
Neelofar Khan
मुक्तक
मुक्तक
गुमनाम 'बाबा'
जीवन की रंगीनियत
जीवन की रंगीनियत
Dr Mukesh 'Aseemit'
Plastic Plastic Everywhere.....
Plastic Plastic Everywhere.....
R. H. SRIDEVI
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
Pratibha Pandey
*अदृश्य पंख बादल के* (10 of 25 )
*अदृश्य पंख बादल के* (10 of 25 )
Kshma Urmila
"" *अहसास तेरा* ""
सुनीलानंद महंत
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
*Awakening of dreams*
*Awakening of dreams*
Poonam Matia
रिश्तों में पड़ी सिलवटें
रिश्तों में पड़ी सिलवटें
Surinder blackpen
A daughter's reply
A daughter's reply
Bidyadhar Mantry
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"हिसाब"
Dr. Kishan tandon kranti
सलाह .... लघुकथा
सलाह .... लघुकथा
sushil sarna
🙅लक्ष्य🙅
🙅लक्ष्य🙅
*प्रणय*
तुम्हारा प्यार मिले तो मैं यार जी लूंगा।
तुम्हारा प्यार मिले तो मैं यार जी लूंगा।
सत्य कुमार प्रेमी
दे संगता नू प्यार सतगुरु दे संगता नू प्यार
दे संगता नू प्यार सतगुरु दे संगता नू प्यार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुण हैं आपणौ
कुण हैं आपणौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Loading...