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19 Oct 2021 · 1 min read

पलकों के दायरे में

पलकों के दायरे में गिरफ़्तार हो गए
लो हम भी आशिक़ी के गुनहगार हो गए

बदले मिज़ाज यूँ हैं समन्दर के आजकल
साहिल भी अब लहर के तलबगार हो गए

रहती थी ख़ुशगवार जिन्हें पा के ज़िन्दगी
सामान मौत के, वो समाचार हो गए

जिनके लिए खड़े थे जहाँ के ख़िलाफ़ हम
वो आज दुश्मनों के तरफ़दार हो गए

पत्थर कभी कहे जो, वही आज कह रहे
शायद ‘असीम’ दिल के क़लमकार हो गए

©️ शैलेन्द्र ‘असीम’

1 Like · 2 Comments · 229 Views
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