2320.पूर्णिका
2320.पूर्णिका
🌹बादल बनके बरस जाते🌹
22 22 2122
बादल बनके बरस जाते।
बगियां अपनी हरष जाते।।
लाख दुहाई लोग देते।
क्योंकर कोई तरस जाते।।
अरमानों की आज दुनिया।
देखो कितना सरस जाते ।।
नेक दिलों की है कहानी ।
अनचाही चाह बस जाते।।
जालिम खेदू ये जमाना।
इंसां खुद काट नस जाते ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश ”
25-5-2023गुरूवार