*पर्वतों की इसलिए, महिमा बहुत भारी हुई (हिंदी गजल/ गीतिका)*
पर्वतों की इसलिए, महिमा बहुत भारी हुई (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
पर्वतों की इसलिए, महिमा बहुत भारी हुई
शेर की अद्भुत सवारी, इस जगह प्यारी हुई
2
जिनको बुलाती हैं स्वयं, माता पहाड़ों के लिए
पर्ची यहॉं आने की बस, उनके लिए जारी हुई
3
शक्ति-रूपा का पराक्रम, देखकर यह सृष्टि भी
तलवार लेकर लड़ रही, दुर्गा की आभारी हुई
4
कौन कहता है कि बल, केवल पुरुष का क्षेत्र है
सोचिए देवी कि नारी, अष्ट-भुजधारी हुई
5
बालिका के देखिए, दो हाथ-नन्हे पॉंवों को
यों लगेगा ज्यों कि कोई, शक्ति अवतारी हुई
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451