पर्यावरण
कोई खुशबू सी गुजरी ताजा-ताजा,
कँही बेला,कँही चम्पा है खिला सा,
गुलाब देख कर नज़रे थम सी गयी,
इनमें अपनेपन का भाव है छुपा सा,
नीम पर रोज़ कूकती है,कोयल प्यारी,
हवा के संग पीपल झूमता हैं,सिरफिरा सा,
आशीर्वाद दे रहा तुलसी का बिरवा,
पिछवाडे बड़ा बरगद खड़ा,प्रहरी सा,
यदि दृष्टि में सौन्दर्य हैं,दृष्टिकोण पर्यावरण हैं,
प्रकृति भी गुनगुनाती है,गीत मधुर सा ||