परो को खोल उड़ने को कहा था तुमसे
परो को खोल उड़ने को कहा था तुमसे
तुम नकली दुनिया की चकाचौंध में खुद को खो बैठी
सोचो क्या करोगी जब तुम्हारे पास सब होगा
वो सब जिसकी अंधी दौड़ में तुम अंधी हुए जा रही हो
पर तुम्हारा वो घर कैसा होगा जिसमें बाप नाम की कोई छत न होगी
कैसी होगी वो रसोई जिसमें माँ की जगह काम वाली बाई होगी
न तुम्हारी कोई सहेली होगी न तंग करने के लिए तुम्हारे भाई
किसको सुनायोगी तब अपनी कामयाबी की कहानी किस्से
तब सिर्फ तुम्हारे पास होंगे हीरो मोतियों के हार और लाखो पैसे
सुनो अब भी समय है अपनी जमीं को कसकर पकड़ लो
और उड़ जाओ इस खुले आसमान में
जो जमीन को छोड़ दोगी आसमान तुम्हें
औंधे मुंह पटक देगा तब तुम कहीं कि नही रहोगी
तुम अमीर अपनी जमीर से होगी
इस जमीं से होगी आसमां से होगी
बेशक तुम्हें लगेगा मैं कड़वी बाते कहती हूँ
पर याद रखना मैं मीठे जहर सा नही चढ़ती हुँ।।