“परिवर्तन ही जीवन”
परिवर्तन ही जब जीवन है
संघर्षों से घबराना क्या,
मरना तो आखिर एक दिन है
तड़प-तड़प मर जाना क्या?
उम्मीदों की प्यासी धरती पर
बादल कभी बरस जाएगी,
हौसला रख कर चल राही
ये रेत भी पार हो जाएगी।
अंगार भरी पगडण्डियों पर
कलियाँ गुलाब की खिलती हैं,
सफर अख्तियार करने वालों को
एक दिन मंजिल मिलती है।
जीवन की परिभाषा छुपी है
कुछ बिखरे हुए विश्वासों में,
प्राणों का यौवन रहता है
कुछ घुटती हुई सी साँसों में।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त 2022-23