Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2021 · 1 min read

परिपूर्ण जीना चाहती हूँ…

ओ सूरज,
सुना है तुम सबको
उजाले बाँटते हो…
पर बरसों से मैं
तुम्हारे आने की
राह देखती हूँ…

मेरे हिस्से की रोशनी
कब दोगे मुझे???
रोज़ खुली आँखों से
जिसके ख़्वाब देखती हूँ…

देखो अब की बार तुम
पिछली गली से,
पीठ करके गुजरना नहीं…

सुनो मैं तुम्हें आवाज दे रही हूँ…
हाथ पकड़ कर,
चाहे ले चलो साथ मुझे तुम,
मैं रोशनी का जहाँ देखना चाहती हूँ…

सालों से दम घोंटता है अँधेरा
पर अब मैं साँस लेना चाहती हूँ…
ठोकरों से पाँव हो चुके हैं घायल,
अब रुक कर घाव सूखाना चाहती हूँ…

मरने से पूर्व एक बार
सम्पूर्ण जीना चाहती हूँ…
मरने से पूर्व एक बार
परिपूर्ण चाहती हूँ…
-✍️ देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
©®

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 686 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हंसना आसान मुस्कुराना कठिन लगता है
हंसना आसान मुस्कुराना कठिन लगता है
Manoj Mahato
स्टेटस अपडेट देखकर फोन धारक की वैचारिक, व्यवहारिक, मानसिक और
स्टेटस अपडेट देखकर फोन धारक की वैचारिक, व्यवहारिक, मानसिक और
विमला महरिया मौज
आंखों में
आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
Sannato me shor bhar de
Sannato me shor bhar de
Sakshi Tripathi
from under tony's bed - I think she must be traveling
from under tony's bed - I think she must be traveling
Desert fellow Rakesh
आ जाये मधुमास प्रिय
आ जाये मधुमास प्रिय
Satish Srijan
ये दुनिया घूम कर देखी
ये दुनिया घूम कर देखी
Phool gufran
कब तक बचोगी तुम
कब तक बचोगी तुम
Basant Bhagawan Roy
"अलग -थलग"
DrLakshman Jha Parimal
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko!
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko!
Srishty Bansal
हिन्दी दोहा बिषय-चरित्र
हिन्दी दोहा बिषय-चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*होइही सोइ जो राम रची राखा*
*होइही सोइ जो राम रची राखा*
Shashi kala vyas
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
पगली
पगली
Kanchan Khanna
बात
बात
Ajay Mishra
*हारा कब हारा नहीं, दिलवाया जब हार (हास्य कुंडलिया)*
*हारा कब हारा नहीं, दिलवाया जब हार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मैंने चांद से पूछा चहरे पर ये धब्बे क्यों।
मैंने चांद से पूछा चहरे पर ये धब्बे क्यों।
सत्य कुमार प्रेमी
" रीत "
Dr. Kishan tandon kranti
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
Sarfaraz Ahmed Aasee
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
प्रभु राम अवध वापस आये।
प्रभु राम अवध वापस आये।
Kuldeep mishra (KD)
वातावरण चितचोर
वातावरण चितचोर
surenderpal vaidya
बचपन में थे सवा शेर जो
बचपन में थे सवा शेर जो
VINOD CHAUHAN
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
मैं नहीं तो कोई और सही
मैं नहीं तो कोई और सही
Shekhar Chandra Mitra
समय ⏳🕛⏱️
समय ⏳🕛⏱️
डॉ० रोहित कौशिक
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
कवि रमेशराज
3308.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3308.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
छत्तीसगढ़िया संस्कृति के चिन्हारी- हरेली तिहार
छत्तीसगढ़िया संस्कृति के चिन्हारी- हरेली तिहार
Mukesh Kumar Sonkar
Loading...