परिणय
पहले मिलन फिर प्रणय का
सामंजस्य के निर्णय का।
प्रेम संपूरित जीवन का
यह बन्धन है परिणय का।
विवाह बंधन ईश उपहार
साक्षी क्यों बने यह संसार
बने साक्ष्य क्यों रस्म रिवाज
कोई साक्ष्य न मांगे प्यार।
रंजना माथुर
जयपुर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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