परिंदा
परिंदे उड़ते रहें आजाद गगन में,
रौनक है उनसे सदा अपने चमन में।
डाली पर बैठकर चहचहाते रहते,
खुशियों के तराने गुनगुनाते रहते,
रखते अपने पंखों ,पंजो पर भरोसा,
नहीं करते कभी किसी से धोखा,
मोर, तोता जैसे परिंदे अपने वतन में,
रौनक है उनसे सदा अपने चमन में।
तिनके-तिनके से महल बना लेता है,
अपनी जरूरत की चीजें जुटा लेता है,
घड़े के कम पानी ऊपर उठा लेता है,
बुद्धि से अपनी प्यास बुझा लेता है,
मेहनत के बदौलत रहता है अमन में,
रौनक है उनसे सदा अपने चमन में।
नूर फातिमा खातून नूरी शिक्षिका
जिला –कुशीनगर