-पराये शहर से आया️
मेरे शहर में जब वो आया,
देख कर मेरी आंखें विस्मित रह गई,
वो जाना पहचाना सा चेहरा,
जो वर्षों हम से बिछड़ा,
भले वो,,, वो नहीं था,
अपना नहीं था,,, था पराया
पर देख मन बहुत हरसाया
मैंने उसमें वो अपना पाया,
मन,मन ही मन बुदबुदाया,
कभी नहीं जाने दे उसको,
अपने शहर मैं ही रखले
मनभर कर देखले उसको,
कहीं वो अपना ही तो नहीं,
दिल ने तुरंत दिमाग को समझाया
वो जायेगा पराये शहर से जो आया,
फिर कभी रब की दुआ से मिलने आएगा।
_ सीमा गुप्ता, अलवर