परवाना बन गया है।
इश्क में लुटकर देखो दिवाना बन गया है।
दिल ए शम्मा में जलकर परवाना बन गया है।।1।।
बहुत कम रुबरु होते थे हम यूं अंजनो से।
देखो अपना बना कर वह बेगाना बन गया है।।2।।
अभी तक जो अपनी किस्मत पे रोता था।
कल तक फकीर था जो शाहंशाह बन गया है।।3।।
सोचते थे हंसी रातें होती है तवायफों की।
पर किस्सा उनका मुझको दहला कर गया है।।4।।
कोई तो गहरी दास्तां है उस नूरे हुस्न की।
अच्छे घराने का था जो रक्काशा बन गया है।।5।।
हम बस काम ही करते रहें और गरीब रहे।
उसने गलत किया और खजाना मिल गया है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ