“परवाज”
“परवाज”
रहे हौसला दिल में
तो नाज हुआ करते हैं,
यूँ पंख के बगैर भी
परवाज हुआ करते हैं।
जिन्हें अन्धेरों को
करना हो रौशन तो
आँखों में पानी और
दिल में आग हुआ करते हैं।
“परवाज”
रहे हौसला दिल में
तो नाज हुआ करते हैं,
यूँ पंख के बगैर भी
परवाज हुआ करते हैं।
जिन्हें अन्धेरों को
करना हो रौशन तो
आँखों में पानी और
दिल में आग हुआ करते हैं।