परलकोट (पखांजूर)
रसगुल्ला के लिए ख्यातनाम
पखांजूर का इलाका,
पूरे तीन सौ गाँवों का क्षेत्र यह
परलकोट कहलाता।
छेने से बने स्वादिष्ट रसगुल्ले
मुँह में पानी लाते,
बंग-बन्धुओं के इस हुनर को
दुनिया में बतलाते।
शादी- ब्याह हो या कोई जलसा
हर जगह पर डिमाण्ड,
भोजन और जलपान के मेनू में
रसगुल्ले का होता नाम।
जिला मुख्यालय कांकेर से यह
पूरे साठ मील है दूर,
पखांजूर को जिला बनाने को हुए
आवाज उठाने मजबूर।
महाराष्ट्र की सीमा को पखांजूर
स्नेहिल स्पर्श देता,
माओवादियों का भयंकर हुंकार
कँपकँपी पैदा कर देता।
(मेरी सप्तम काव्य-कृति : ‘सतरंगी बस्तर’ से)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।