परम लक्ष्य
INT NOTE
परम लक्ष्य
जीवन लक्ष्य का निर्धारण
बड़ा विकट इसका सम्पादन।
प्रतिक्षण परिवर्तन इसका कारण
उस पर भी मन का आलम्बन ।
कब किसको हूँ वरीयता
सब विषयों से अपनी प्रियता ।
विषयों में श्रेष्ठ की गणना
बड़ी कठिन इसकी संकल्पना ।
लक्ष्यों की प्राप्ति की इच्छा,
से प्रेरित होती कर्मेच्छा ।
भरे-बुरे कर्मों की दुविधा ,
परिचय कराती विवेचनात्मक सुमेधा ।
मेधा से परिष्कृत होता ज्ञान,
श्रेय-प्रेय का मौलिक संज्ञान ।
मिलता आत्म-ज्ञान का अवरोध,
परम लक्ष्य का होता बोध ।
– डॉ० उपासना पाण्डेय