परमपूज्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज
परमपूज्य स्वामी
रामभद्राचार्य जी महाराज
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दृष्टिहीन होकर भी जग में,
जो काम किया आप जगद्गुरु।
भूलेगा ये जग नहीं कभी भी ,
रामलला का हुआ है काज शुरू।
राघव माधव जपत निरंतर,
रामजन्मभूमि का प्रमाण दिया।
तुलसीपीठ के पीठाधीश्वर!
हमसब ऋणी है आपके,पूज्य गुरु।
देखो प्रभु की लीला अजीब,
जिस राघव को जपते प्रतिपल।
उस राघव ने ही बुलाया था ,
दिया राम का सारे साक्ष्य अटल।
गिरिधर आप रामभद्राचार्य बने हैं,
पाकर जो दिव्य प्रज्ञाचक्षु।
राघव माधव आधार जगत में,
मन भजे अहर्निश शरण पड़ूँ।
चित्रकूट को अमर किया,
धन्य-धन्य आपकी मनभावन नगरी।
भारतमाता भी गर्वित हुई है,
पाकर धर्म की पावन छतरी।
धर्मयुद्ध भीषण कलियुग में,
सनातन का हैं आप मृदु छाया तरु।
बद्धजीव हम हैं,आप कृपा निर्हेतुक ,
कैसे मैं आपका नमन करुँ…
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २७ /०२ /२०२३
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विक्रम संवत २०७९
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