पन्नाधाय मर्दानी
आओ सुनाता हूँ उस मिट्टी की अमर कहानी वीर-वीरांगनाओं से भरी है जो यह राजस्थानी
जब विरोधषडयंत्रों में बनवीर जल रहा था
मेवाड़ का भावी राणा उदय सिंह किशोर हो रहा था
बहुत ही अद्भुत भयानक संकेत था यह पवन का
निश्चय ही कहीं कोई बड़ा अनर्थ हो रहा था
संभव तो नहीं था कुदरत का यह सत्य
फिर भी विपरित दिशा में प्रतीत हुआ आज का आदित्य
हुआ वही जिसका बड़ा ही था भय
बनवीर द्वारा मार दिया गया राणा विक्रमादित्य
समझ गई समय की भयावहता को अब रानी कर्मावती
हर साँस तक लड़ी ऐसी थीं वो मेवाड़ की सती
धाय को सौंप अपना पुत्र चली उस मार्ग पर
जिस पर कभी चली थी रानी पद्मावती
बडा ही क्रूर था वो बनवीर
मार दिये जिसने सभी खानदानी
आओ सुनाता हूँ, उस मिट्टी की अमर कहानी
वीर वीरांगनाओं से भरी है जो यह राजस्थानी
अब भी था बड़ा खून उसके सर पे सवार
चल पड़ा महलों की तरफ ले हाथों में तलवार
हिस्से – हिस्से हो गये नन्हें बालक के
ऐसा निर्दयी था बनवीर का वार
अरे धन्य है वो वीर स्वामिभाक्तिन धाय
जिसके नयनों में न अश्रु न अधरों पर क्रूंदन था
बनवीर न जान सका
यह उदय नहीं पन्ना का पुत्र चंदन था
समुचा राजस्थान गौरान्वित है पाकर लेकर
ऐसी वीरांगना थीं पन्नाधाय मर्दानी
आओ सुनाता हूँ उस मिट्टी की अमर कहानी
वीर-वीरांगनाओं से भरी है जो यह राजस्थानी
– pradeep kumar