पथिक वही जो बढ़ता जाता
पथिक वही जो बढ़ता जाता
अवरोधों से कब घबराता ,
ऊँची-नीची सब राहों पर
बिना रुके वो चलता जाता ।
पाषाणों से जब टकराता
असंभव को संभव बनाता ,
बड़े बड़े तूफाँ से लड़कर
विजय रथ पर चढ़ता जाता ।
डॉ रीता
पथिक वही जो बढ़ता जाता
अवरोधों से कब घबराता ,
ऊँची-नीची सब राहों पर
बिना रुके वो चलता जाता ।
पाषाणों से जब टकराता
असंभव को संभव बनाता ,
बड़े बड़े तूफाँ से लड़कर
विजय रथ पर चढ़ता जाता ।
डॉ रीता