पथिक पग अपने बढाये चला जा
* गीत *
पथिक पग अपने बढाये चला जा।
उत्साह मन में समाये चला जा।
शम्मा बुझेगी तू रुकना नहीं।
जुनूं के दिये जलाये चला जा।
नदियाँ रुकी हैं कहाँ हज्र से।
यूँ ही तू मुश्किल बहाये चला जा।
तीर धनु से निकल भेदते देते लक्ष्य।
तू तीरों से बेरोक चलता चला जा।
तेरे लिए ही ये यश – श्री खडी।
नगमा खुशी का तू गाये चला जा।
इषुप्रिय शर्मा’अंकित’