पथरीली राहों पर चलते चलते
बहुत कुछ दबा था
भीतर
बहुत भरी हुई थी
कल बहुत दिनों बाद
कुछ लोगों से
कुछ दिल की बातें करी
कुछ गंभीर विषयों पर
चर्चा करी
कुछ बिना बहस के
वार्तालाप करी
कुछ सुख दुख बांटे तो
मन को थोड़ी तसल्ली हुई
दिल को थोड़ा आराम
मिला
रुह को थोड़ी शांति मिली
पथरीली राहों पर
चलते चलते पांव अक्सर
छिल जाते हैं
जख्म दे जाते हैं
थोड़ी सी राह बदले
लोग बदलें
बर्फीले रास्ते मिलें
ठंडी हवा की फुहार मिले
तो
मन के गहरे घाव भर
जाते हैं
पांव चलने लायक हो
जाते हैं
फिर से
एक नया सफर
एक नई मंजिल के साथ
तय करने के लिए।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001