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13 Mar 2021 · 1 min read

पथरीली राहों पर चलते चलते

बहुत कुछ दबा था
भीतर
बहुत भरी हुई थी
कल बहुत दिनों बाद
कुछ लोगों से
कुछ दिल की बातें करी
कुछ गंभीर विषयों पर
चर्चा करी
कुछ बिना बहस के
वार्तालाप करी
कुछ सुख दुख बांटे तो
मन को थोड़ी तसल्ली हुई
दिल को थोड़ा आराम
मिला
रुह को थोड़ी शांति मिली
पथरीली राहों पर
चलते चलते पांव अक्सर
छिल जाते हैं
जख्म दे जाते हैं
थोड़ी सी राह बदले
लोग बदलें
बर्फीले रास्ते मिलें
ठंडी हवा की फुहार मिले
तो
मन के गहरे घाव भर
जाते हैं
पांव चलने लायक हो
जाते हैं
फिर से
एक नया सफर
एक नई मंजिल के साथ
तय करने के लिए।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
578 Views
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