Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2021 · 1 min read

पत्रकार महोदय, कुछ तो शर्म करो !

पत्रकार महोदय, कुछ तो शर्म करो,
जी हजूरी छोड़ो, अपना कर्म करो।
देश समस्याओं से देखो जूझ रहा,
लोगों को कुछ भी नहीं सूझ रहा।

रोजगार शिक्षा और महंगाई ,
समस्या जैसे आसमां छू आई।
हर तरफ देखो, पसरी लाचारी,
त्राहिमाम करती जनता बेचारी।

तुम्हारा तो धर्म था सच दिखाना,
कर्म था वाजिब सवाल उठाना।
जनमानस की तकलीफ बताना,
सच्चाई लोगों तक था पहुंचाना।

तुम तो सत्ता से ऐसे डरने लगे,
सरकार का ही भजन करने लगे।
शान में उनकी कसीदे पढ़ते हो
उनके लिए लड़ते औ झगड़ते हो।

तुम्हे गलत कुछ लगता ही नहीं,
जो नेता जी कह दें, वो ही सही।
कानून कैसे भी बनाए जा रहे,
तुम अभिनंदन गीत गाए जा रहे।

हर फैसले को सही ठहराते हो,
नुकसान को भी नफा बताते हो।
साहिब का गुण गाकर सुनाते हो,
लोगों को तुम तो बस भरमाते हो।

खबर बताते नही, तुम बनाते हो,
फरमान सरकार का सुनाते हो।
प्रचार में ऐसे तुम रम जाते हो,
पार्टी प्रवक्ता खुद बन जाते हो।

सरकार की दलाली में सब भूले,
सत्ता के झूले में तुम तो ऐसे झूले।
नेताओं की जूतियां तक उठाते हो,
जूठन भी उनकी शौक से खाते हो।

तुम्हे तनिक भी लाज ना आई,
अपनी रोज़ी की गरिमा बिसराई।
अब भी समय है, थोड़ा मनन करो,
पत्रकार महोदय, कुछ तो शर्म करो,
जी हजूरी छोड़ो, अपना कर्म करो।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 228 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
छोड़ दूं क्या.....
छोड़ दूं क्या.....
Ravi Ghayal
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उम्मीद रखते हैं
उम्मीद रखते हैं
Dhriti Mishra
"काला पानी"
Dr. Kishan tandon kranti
चाय पीने से पिलाने से नहीं होता है
चाय पीने से पिलाने से नहीं होता है
Manoj Mahato
उसने मुझको बुलाया तो जाना पड़ा।
उसने मुझको बुलाया तो जाना पड़ा।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरे फितरत में ही नहीं है
मेरे फितरत में ही नहीं है
नेताम आर सी
कैसा हो रामराज्य
कैसा हो रामराज्य
Rajesh Tiwari
तेरी मधुर यादें
तेरी मधुर यादें
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
क्या हुआ ???
क्या हुआ ???
Shaily
जब अपनी बात होती है,तब हम हमेशा सही होते हैं। गलत रहने के बा
जब अपनी बात होती है,तब हम हमेशा सही होते हैं। गलत रहने के बा
Paras Nath Jha
बेटियां / बेटे
बेटियां / बेटे
Mamta Singh Devaa
2492.पूर्णिका
2492.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सेहत या स्वाद
सेहत या स्वाद
विजय कुमार अग्रवाल
उम्र का लिहाज
उम्र का लिहाज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
आत्मा की शांति
आत्मा की शांति
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम ही मेरी जाँ हो
तुम ही मेरी जाँ हो
SURYA PRAKASH SHARMA
आत्मबल
आत्मबल
Punam Pande
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
Vandna Thakur
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
manjula chauhan
पढ़िए ! पुस्तक : कब तक मारे जाओगे पर चर्चित साहित्यकार श्री सूरजपाल चौहान जी के विचार।
पढ़िए ! पुस्तक : कब तक मारे जाओगे पर चर्चित साहित्यकार श्री सूरजपाल चौहान जी के विचार।
Dr. Narendra Valmiki
*पेड़ के बूढ़े पत्ते (कहानी)*
*पेड़ के बूढ़े पत्ते (कहानी)*
Ravi Prakash
यादों के झरने
यादों के झरने
Sidhartha Mishra
न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है
Kushal Patel
Behaviour of your relatives..
Behaviour of your relatives..
Suryash Gupta
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत
कवि रमेशराज
धर्म का मर्म समझना है ज़रूरी
धर्म का मर्म समझना है ज़रूरी
Dr fauzia Naseem shad
#कुछ खामियां
#कुछ खामियां
Amulyaa Ratan
Loading...