पत्नी या प्रेमिका
पत्नी प्रेमिका होना चाहती है
और प्रेमिका पत्नी
पत्नी हर चल अचल संपत्ति
की कानूनन भागीदार
जीवन पर्यंत जीवन संगिनी रहती है
पत्नी सोचती है
पुरुष के हृदय में प्रेमिका बसती है
पुरुष के हृदय की थाह पाना
मुश्किल ही नहीं
बल्कि नामुमकिन रहा
एक स्त्री के लिए
एक प्रेमिका पत्नी होना चाहती है
एक पुरुष की ज़िंदगी में
चाहती है
जीवन संगिनी का अधिकार
उसके सुख-दुख की साथी
एक छत के नीचे रहने का अधिकार
हर उत्सव साथ मनाने का अधिकार
वैधानिक अधिकार
एक सामाजिक स्वीकारोक्ति
यह दोनों तरह की स्त्रियाँ
इसी उधेड़बुन में अधूरा सा जीवन जीती हैं
कुछ नज़रअंदाज और
कुछ समझौते पर
टिकी होती है ज़िंदगी
इस सब में शायद
पुरुष का पलड़ा भारी रहता है
जो दो या दो से अधिक
स्त्रियों का पूर्ण प्रेम
व समर्पण पाता
एक पूर्ण जीवन जीता है
अपूर्ण ज़िंदगी में
पूर्णता की खोज
युगों-युगों से चली आ रही है
स्त्री और पुरुष
के रिश्ते का द्वंद
पुरुष की स्त्री को
जीतने की प्रवृत्ति
स्त्री का प्रेम में
सब कुछ हारते चले जाना
हर युग में जटिलता
की नई परिभाषा गढ़ता है
पत्नी प्रेमिका होना चाहती है
और प्रेमिका पत्नी…
©️कंचन”अद्वैता”