पति पत्नि की नोक झोंक व प्यार (हास्य व्यंग)
मेरी पत्नी सुबह सुबह रामायण पढ़ती है।
फिर तो सारे दिन वह महाभारत करती है।।
वैसे तो रामायण पढ़कर, राम राम करती है।
फिर तो सारे दिन गाली की बौछार करती है।।
हर मंगलवार को वह हनुमान चालीसा पढ़ती है।
बाद में हनुमान की गदा ले मुझ पर धमकती है।।
वह रोज रोज मुझे सता रही है मै नही उसे सता रहा हूं।
एक बार क्या हाथ दबाया 40 वर्ष से पांव दबा रहा हूं।
कहती है रिटायरमेंट के बाद निकम्मे हो गए हो तुम।
किसी काम को कहती हूं सुनकर घुन्ने हो गए हो तुम।।
सारे दिन कुंभकर्ण की तरह तुम सोते रहते हो।
कोई काम को कहती हूं, अनसुनी कर देते हो।।
एक दिन पत्नि से कहा,जरा तुम चावल बीन लिया करो।
भगवान ने दो आंखे दी है जरा कंकड़ निकाल लिया करो।।
वह झट से बोली,भगवान ने तुम्हे भी 32 दांत दिए है।
क्या फर्क पड़ता है,उन्हे भी दांतो से फोड़ लिया करो।।
जब कोई उसकी सहेली हमारे घर पर आ जाती है।
वह खुद न चाय बनाकर,मुझसे बनाने को कहती है।।
जब कोई मेरा यार दोस्त मेरे घर पर आ जाता है।
वह चाय में चीनी की जगह नमक मिला देती है।।
जब कभी भी उसे सर्दी जुखाम हो जाता है।
मेरे सीने में भी बलगम गड़गड़ाने लगता है।।
मानता हूं वह इस उम्र में मुझसे काफी लड़ती झगड़ती है।
पर मुझे जरा बुखार आ जाए वह दीर्घ आयु की कामना करती है।।
जब कभी चोट लगती है वही तो मलहम लगाती है।
नींद नहीं आती है वही तो मेरे सिर को सहलाती है।।
चलती रहती हैं नोक झोंक,इसी को सच्चा प्यार कहते है।
जो रह नही सकते इसके बिना उसे ही पति पत्नि कहते है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम