पता पहले से था
********* पता होने से पहले था ************
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किया संभल के उनसे प्यार पग पग पर नहीं होगा
मिलेगा राह में साथी आपसा होने से पहले था
जुदाई में नहीं मिलती कभी राहत न पल भर की
कयामत सी निशा होगी पता होने से पहले था
अगर मालूम होता यार होगा बेवफा सारा
नियत काली भरा साथी गिला होने से पहले था
कभी होता न राही अंजान रास्तों से मगर फिर भी
कदम पथ पर पड़ा काफिला होने से पहले था
नजर आती नहीं मंजिल निकट होकर न जानेमन
बिखर जाते यहाँ मोती सिला होने से पहले था
कहानी घर से मनसीरत शुरू होती सुना होगा
मिला होगा न कोई रहनुमा होने से पहले था
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)