पता नहीं तुम कौनसे जमाने की बात करते हो
मेरे दिल को तोड़कर तुम फिर से
दिल लगाने कि बात करते हो
पता नही यार तुम कौनसे
जमाने कि बात करते हो
महफिल में बुला कर तुम
चाय पिलाने कि बात करते हो
सामने रख कर काँच का गिलास
तुम डिस्पोजल में पीने की बात करते हो
जमिन से थोड़ा सा ऊपर क्या उठ गए
तुम तो उड़ने कि बात करते हो
पता नहीं यार तुम कौनसे
जमाने की बात करते हो
हाथ में घड़ी बाँधकर भी तुम
समय की बात करते हो
यादों में आज भी बसे हो तुम
फिर से भूल जाने की बात करते हो
सच-सच क्यों नहीं बता देते हो यार
तुम आज भी मेरा दिल
जलाने की बात करते हो
पता नहीं यार तुम कौनसे
जमाने की बात करते हो
मनोज तानाण
(Manoj Tanan)