“पतवार बन”
“पतवार बन”
नफरतों की इस दुनिया में
तू सबका प्यार बन,
डूब रही हो कश्ती भँवर में
उसके लिए पतवार बन।
दे सके सुकून तेरे कदम
वो प्रीत का इजहार बन,
सूखी धरा की प्यास बुझे
तू वो बौछार बन।
“पतवार बन”
नफरतों की इस दुनिया में
तू सबका प्यार बन,
डूब रही हो कश्ती भँवर में
उसके लिए पतवार बन।
दे सके सुकून तेरे कदम
वो प्रीत का इजहार बन,
सूखी धरा की प्यास बुझे
तू वो बौछार बन।