पतंग बहाने ( एक सुंदर बाल कविता)
पतंग के बहाने
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चिंटू ने पतंग लेने का मन बनाया
अपने पापा से मंगवाया
मकर सक्रांति के दिन उड़ाया
देख गगन में खूब हर्षाया
मुनियाँआई ,चुनियाँ आई
अपना पतंग लेकर
दोस्तों के संग,मिंटू भी आया
छत पर पतंग उड़ाने में
बच्चे दे रहे थे ध्यान
रंग बिरंगे पतंगों से
भर गया आसमान
सभी ने अपनी डोरी पकड़ी थीं
अपने -अपने हाथ में
कितना अच्छा लगता है
अक्सर बच्चों के साथ में
थोड़ा समय दे देता हूँ
जब रहता हूँ खाली
बच्चों की दुनिया होती है
सचमुच बहुत निराली
आनंद ही आनंद बहता
मानो सुंदर -झरना है
इन बच्चों के अंदर सदैव
बंधुत्व के भाव को भरना है ।
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नेतलाल यादव
उत्क्रमित उच्च विद्यालय, शहरपुरा, जमुआ,गिरिडीह, झारखंड ।