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2 Apr 2024 · 1 min read

मुझे ताज महल नहीं चाहिए

बस तुम मेरे लिए दो लफ्ज़ लिख दो,
मुझे ग़ज़ल नहीं चाहिए।
तुम दिल में रहने की इजाजत दे दो,
मुझे ताज महल नहीं चाहिए।

मैं चाहती हूं कि हर एक पन्ना पर तुम्हारी कलम की स्याही हो,
मुझे किसी की नकल नहीं चाहिए।

आधा अधूरा सा ही सुना देना तुम,
मुझे कुछ मुक्कमल नहीं चाहिए।

ले आना तुम फूल राहों से बेशक,
मुझे कोई कमल नहीं चाहिए।

हरदम तुम्हारे साथ रहूं मैं, बस यही तमन्ना है मेरी,
मुझे इस में कोई खलल नहीं चाहिए।

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