पक्षियों से कुछ सीखें
रात को कुछ भी ना खाते
घुमघाम के घर को आते
अपने बच्चों को सही सिखाते
सही समय का गुण सिखलाते
ठूँस ठूँस कर न खाएँ खाना
चाहे डालो जितना भी दाना
थोड़ा खाते और उड़ जाते
साथ ना कुछ वो लेकर जाते
रात होते ही वो सो जाते
सुबह सवेरे हमें जगाते
चहक चहक कर गाना गाते
सबके मन को वो हैं भाते
दिन भर करते खूब काम
रात में बस करे आराम
उनकी तरह जो करे परिश्रम
रोग ना हो कभी उनके दुश्मन
कभी ना बदले अपना आहार
खाना छोड़ दे अगर हो बीमार
अपने बच्चो को देते खूब प्यार
उनसे मिला हमें यह उपहार
अगर बात रही आपको जम
तो पक्षियों से कुछ सीखें हम
– मृत्युंजय कुमार